लगता है युवा हिन्दी कविता इन दिनों हिंदी साहित्य में बहस का प्रमुख मुद्दा है. एक तरफ युवा कविताओं पर विशेषांक आ रहे हैं, युवा कवियों की चर्चाएं हो रही हैं, युवा कवियों के धड़ाधड़ संकलन आ रहे हैं. दूसरी तरफ इस पीढ़ी की कविता पर प्रश्न-चिन्ह लगाती आलोचकों की एक टीम भी है. जो इस कविता को कटघरे में देखना और रखना चाहती है।
ऐसी ही कुछेक पठनीय सामग्री आपको इन पत्रिकाओं में मिल सकती है-
- 1) परिकथा- युवा कविता विशेषांक - संपा. शंकर
युवा यात्रा की श्रृंखला की पहली कड़ी के रूप में आया यह अंक युवा हिंदी कविता की दशा-दिशा और हिंदी कविता मेंउसकी उपस्थिति पर सार्थक बहस प्रस्तुत करता है. हिंदी कविता के पाठकों को यह विशेषांक अवश्यक पढ़नाचाहिए. विशेषकर बसंत त्रिपाठी और बोधिसत्व के आलेखों पर चर्चा होनी चाहिए.
इसी अंक में वरिष्ठ कवियों ने भी युवा कविता पर अपने मत-अभिमत रखे हैं, ये इस अंक की विशेष उपलब्धि हैं।
- 2) तहलका- साहित्य विशेषांक 2010 - संपा. संजय दुबे
तहलका हालांकि एक पाक्षिक समाचार पत्रिका है, इस लिहाज से 'तहलका' के साहित्य विशेषांक का संयोजनस्वागत योग्य है. इस प्रकार के प्रयास साहित्य को आम पाठक से जोड़ने में मददगार होंगे. विशेषांक में शामिलरचनाकारों को लेकर लम्बी बहसें फेसबुक पर भी जारी हैं.
इस अंक में युवा पीढ़ी पर निशाना साधते कुछेक विवादास्पद लेख हैं, कुछ बयान बाजियां हैं.
अंक में संग्रहित कविताओं में कई महत्वपूर्ण नाम हैं, दो-एक नाम चौंकातें हैं, बावजूद तहलका के प्रयास की सराहना की जानी चाहिए।
- 3) रचनाक्रम - प्रवेशांक - अतिथि संपा. ओम भारती, संपा. - अशोक मिश्र
रचनाक्रम का प्रवेशांक हमारे समय के महत्वपूर्ण लेखकों की रचनाशीलता को सामने लेकर आया है. वर्तमान हिंदीजगत के सभी बड़े नामों को जगह देने की कोशिश की गई है, या कहें प्रवेशांक से ही उन्हें जोड़ने की योजनाबद्धकोशिश की गई है. विष्णु नागर, विनोद कुमार शुक्ल, नरेन्द्र जैन, कुमार अम्बुज, लीलाधर मण्डलोई, दिनेश कुमारशुक्ल से लेकर कई नये-पुराने कवियों की रचनाएं अंक में शामिल है।
हिन्दी साहित्य में युवा पीढ़ी को सामने लाने का सबसे ज्यादा श्रेय रवीन्द्र कालिया जी को ही जाता है. कुछ जल्दी मेंनिकाले गये 'नया ज्ञानोदय' के इस युवा विशेषांक में कविता को कोई स्थान नहीं मिला. लेकिन इसकी भरपाई यशमालवीय की लम्बी कविता है।
- 5) वागर्थ - मई 2010 - संपा. विजय बहादुर सिंह
मजदूर दिवस पर संकलित कवितायें इस अंक का महत्वपूर्ण आकर्षण है। एकांत श्रीवास्तव और नरेन्द्र जैन कीकवितायें पठनीय हैं। इन्हीं के साथ प्रकाशित अन्य कवियों की कविताएं भी ध्यान खींचती
हैं।
- 6) समावर्तन - जून 2010 - संपा.मुकेश वर्मा
अपने रजत जयंती अंक तक आते आते समावर्तन ने एक स्थायी जगह हिंदी पाठकों में बना ली है। पत्रिका का नया स्तम्भ रेखांकित रचनाकार जिसका संपादन एवं चयन ख्यात कवि निरंजन श्रोत्रिय करते हैं, काफी चर्चित हो रहा है। स्तम्भ की तीसरी कड़ी में युवा कवि कुमार विनोद को प्रस्तुत किया है. कुमार विनोद का ताजा गजल संग्रह 'बेरंग है सब तितलियां' इन दिनों काफी चर्चा में है. उन्हें बधाई.