कुछ दिनों पहले की बात है, जगदलपुर (छत्तीसगढ़) निवासी मेरे एक मित्र योगेन्द्रसिंह राठौर ने समकालीन कविता पर एक चर्चा के दौरान एक कविता जो उन्हें मौखिक याद थी, सुनाई थी और कहा था कि एक अच्छी कविता साधारण में भी असाधारण कह जाती है. यह कविता अग्रज कवि बोधिसत्व की थी. जो उनके नये कविता संग्रह ‘खत्म नहीं होती बात’ में भी शामिल है. कविता का शीर्षक है –‘कोहली स्टूडियो’।
कोहली स्टूडियो
भाई बहुत सुन्दर नहीं था
पर चाहता था दिखना सुन्दर
शादी के लिए भेजनी थी फोटो
उसे सुन्दर बनाया
कोहली स्टूडियो ने
ब्लैक एंड व्हाइट फोटो से
कुछ दिनों बाद
भाई के लिए आई एक
सुन्दर फोटो देखने के लिए
जिसे सबने सराहा देर तक
शादी तय हुई भाई की
उसी फोटो वाली सुन्दर लड़की से
भाई की असुन्दरता पकड़ी गई
फेरे पड़ने के बाद,
भाभी भी बस थी ठीक-ठाक
नाक की जगह ही थी नाक
कोहबर में दोनों ने एक-दूसरे को फोटो से
कम सुन्दर पाया
दोनों को बहुत सुन्दर दिखना था
दोनों ने कोहली स्टूडियो से
फोटो खिंचवाया
दोनों को कोहली स्टूडियो ने
सुन्दर दिखाया
ब्लैक एंड व्हाइट फोटो से
आज सब कुछ रंगीन है
फिर भी भाभी के कमरे में
टंगी है वही शादी के बाद
कोहली स्टूडियो से खिंचवाई
ब्लैक एंड व्हाइट फोटो
कोहली ने न जाने कितनों को
सुन्दर बनाया है
न जाने कितनों को बसाया है
अपने ब्लैक एंड व्हाइट फोटो से
000
आदरणीय प्रदीप जिलवाने जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
अच्छी कविता के लिए आभार !
आपको और परिवारजनों को
दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं !
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान !
लक्ष्मी बरसाएं कृपा , बढ़े आपका मान !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बोधिसत्व की कविताएँ पहले ही पाठ में आदमी को अपना बना लेती हैं। मैं तो समझ लो कि उनका फ़ैन ही हूँ। यह कविता यद्यपि पहले भी पढ़ी है और बार-बार पठनीय है।
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको भी और भाई बोधिसत्व समेत सभी पाठक मित्रों को भी।
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जवाब देंहटाएंकोहली ने न जाने कितनों को
जवाब देंहटाएंसुन्दर बनाया है
न जाने कितनों को बसाया है
अपने ब्लैक एंड व्हाइट फोटो से
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प्रदीप भाई,
ये कविता बहुत ही बढिया कविता है। मैने भी अपने ब्लॉग पर डाली थी और फिर भी बार बार पढने लायक है।
अद्भुत ! वाकई पाठ करते हुए दिव्य अनुभूति होती है ! आप दोनों मित्रों - रचनाकार और प्रस्तुतकर्ता, को हार्दिक बधाई !
जवाब देंहटाएंनेताओं और छात्रसंघ चुनावों की याद हो आई, ऐसी ही न जाने कितने कोहली स्टूडियों ने न जाने कितनों का माल बनाया है।
जवाब देंहटाएंबढिया कविता।
मान्यवर
जवाब देंहटाएंनमस्कार
बहुत सुन्दर
मेरे बधाई स्वीकारें
साभार
अवनीश सिंह चौहान
पूर्वाभास http://poorvabhas.blogspot.com/